आज जेष्ठ शुक्ल दशमी है। गंगा दशहरा। आज के दिन गंगाजी का धरती पर अवतरण हुआ था।
अवतरण से ले कर आज की दुर्दशा वाली स्थिति तक गंगामाई में बहुत जल बहा है। एक महान सभ्यता और एक महान धर्म की धुरी रही हैं वे। आज भी उनकी कृपा से हम सभी अपना जीवन चला रहे हैं। अत: गंगा दशहरा को हमारे जीवन में महत्व मिलता ही चाहिये।
सवेरे सवेरे आज मैं सयास गंगातट पर गया - बावजूद इसके कि पिछले 6-7 दिन स्वास्थ्य नरम होने के कारण घूमने नहीं जा रहा था। शिवकुटी के तट पर जो भी लोग मिले गंगा दशहरा की बात करते पाये गये। अमूमन 8-10 लोग होते थे वहां स्नान करने या कर के लौटने वाले। पर आज वहां लगभग 50-60 लोग दिख रहे थे। यह भीड़ तो नहीं कही जा सकती, पर यह माना जा सकता है कि आस पास में लोगों को तीज त्यौहारों के प्रति आस्था और लगाव है।
मेरी अम्मा ने बताया कि लोग मानते हैं कि आज से गंगाजी में पानी बढ़ना प्रारम्भ हो जाता है। इस दिन से पहले, गंगापार जाने वाली बारात अगर हाथी के साथ हुआ करती थी, तो हाथी पानी में हिल कर गंगापार कर लिया करता था। पर गंगादशहरा के बाद यह नियमबद्ध हो गया था कि हाथी गंगा पार नहीं करेगा। बारात नाव में बैठ पार जाती थी पर हाथी नहीं जाता था।
पहले बारात की द्वारपूजा में हाथी की बतौर गणेश जी, पूजा होती थी। पता नहीं, यह हाथी ले जाने की परम्परा आज है या नहीं। आजकल तो बारात में हाथी बहुत कम ही दिखते हैं।
कछार में सब्जियां उगाने वाले भी गंगा दशहरा तक अपनी खेती समेट लेते हैं। मुझे अब पूरे परिदृश्य़ में खेतों में काम करते लोग नहीं दिखे। खेतों में सब्जियों के पौधे भी नहीं बचे।
गंगामाई में पानी उत्तरोत्तर कम हुआ है। महीना भर पहले से अब के चित्र की तुलना में कई मार्शलैण्ड उभरे दीखते हैं। पर अब से पानी बढ़ेगा। उसके बाद बरसात के पानी से गंगाजी का पाट और चौड़ा होगा। दिनों दिन बढ़ती जलराशि देखने की कामना है मेरे मन में!
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22 comments:
@आजकल तो बारात में हाथी बहुत कम ही दिखते हैं।
हाँ सारे हाथी अब पत्थर की मूर्ति में बदल चुके हैं.....
मेरे ख्याल से गंगा माई पक्के घाट से बहुत दूर हो गयी हैं जहाँ पंडा जी बैठते हैं ... स्नान करने पश्चात तिलक-विअल्क लगाने श्रद्धालू पसीने से भीग कर ही आते होंगे, गंगत्व तो अपना असर खो देता होगा.
आज के दिन से पानी बढ़ने लगे तो फिर से सूखे तल भर जायेंगे, आज से गंगा का ध्यान रखा जाये तो गंगा की आत्मा प्रसन्न हो जायेगी।
दिनों दिन बढ़ती जलराशि देखने की कामना है
हम सब की यह कामना पूर्ण हो ... शुभकामनाएं
जय गंगा मैय्या की..आप में सागरों से भी ज्यादा पानी रहे हमेशा...
-Arvind K.Pandey
http://indowaves.wordpress.com/
मेरे पिता जी को तो दहेज मे हाथी मिला था . ..... गंगा दश्हरे की बधाई
हर गंगे हर हर गंगे....बढ़िया पोस्ट।
सुंदर चित्र।
i hope u r keeping well now?
गंगा दशहरा देखकर लगा कि ज़रूर यह पोस्ट इलाहाबाद से सम्बन्ध रखती होगी | और ऐसा ही निकला |
जी, अब सामान्य है!
याद करने के लिये धन्यवाद।
गंगादशहरे से पानी बढ़ने की बात नई लगी कुछ कुछ वैसी ही जैसी हमारे यहां मान्यता है कि लोहड़ी के दिन से सर्दी की कड़क समाप्त होने लगती है
हमारे पास फैंके गये तख्ते का बेंच मार्क है, उससे मापेंगे कि पानी बढा या घटा! :-)
गंगा मैया सदा आपकी मदद करें ...
हार्दिक शुभकामनायें भाई जी !
हाथी अब चुनावी गंगा पार उतरने के काम आते हैं|
त्यौहार, मौसम के साथ परम्पराओं का अपना कैलेंडर.
aaj ke din pashchimee Uttar Pradesh men Patange udaayi jaati hain.
गंगामैय्या स्वस्थ रहे और साथ ही आप भी.
चुनावी वैतरणी!!
गंगा दशहरा की कथा... हाथी और नौका का लोकाख्यान सचमुच बहुत आनंददायक रहा.. गंगा का एक मार्शलैंड में परिवर्तित हो जाना खेदजनक लगता है.. पटना में तो गंगा के कछार में नहीं गंगा की छाती पर खेती हो रही है!!
अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें!!
गंगा मैया का पानी बढे और आपका स्वास्थ्य परवान चढे ।
गंगा मैया का स्मरण और दर्शन कराने के लिए धन्यवाद!
@दिनों दिन बढ़ती जलराशि देखने की कामना है मेरे मन में!
- सुन्दर, गंगामय पोस्ट! शादी क्या, वैसे भी हाथी दिखने कम हो गये हैं, वही हाल गधे-घोड़े और बैलों का है। गौपूजक देश के शहरों में गायें भी भैंसों से कम ही दिखती हैं।
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