दूसरे, परसों से बढ़ रही गंगाजी में आज और बढ़ोतरी दिखी। स्नान करने वालों की जगह सिमट गयी है। कुछ दिन पहले की पिछली बाढ़ में मैने पाया कि शिवकुटी घाट की सीढ़ियों का एक पटिया टूट गया है। पटिया मजबूत था, पर जलराशि के धक्के को झेल न पाया।
घाट पर लोग कयास लगा रहे थे कि अभी और बढ़ेंगी गंगाजी।
4 comments:
हमारे भाग्य खुले जो आप ने ब्लॉग को याद किया। वर्ना तो यह कमबख़्त फेसबुक और ट्विटर ने ही सारा टूथपेस्ट चट कर जाने की साजिश रच डाली है।
सोच रहा हूँ अब कह ही दूँ - आपने ब्लॉग से दूरी क्या बढ़ा दी लगता है इस माध्यम की बढ़वार ही रुक गयी है।
हम एक बार फिर वर्धा जा रहे हैं - इस बात पर सिर जोड़ने की हिंदी ब्लॉगरी रहेगी कि जाएगी। आप भी आते तो बहुत अच्छा रहता। एक बार मौका तो देना ही चाहिए इसे। ब्लॉगवाणी जैसा कुछ जिन्दा करना है।
कह तो रहें हैं कि माताटीला का पानी छोड़ा जाना है, आकर इलाहाबाद ही पहुँचेगा। केन का पानी भी पहुँचता है कि नहीं।
अगर समधर्मा, इण्टरेक्टिव, 60-100 का कुनबा रहा तो ब्लॉगिंग रहेगी। बहुत कुछ कबीले की तरह।
गंगा मैया की जय!
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