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वापस आने पर शैलेश और उनके मित्र स्थानीय प्रशासन, लोक सेवकों और सांसदों के सम्पर्क में रहे जिससे इस रोप वे की पुख्ता ग्राउटिंग के साथ इसका व्यापक ढुलाई में प्रयोग हो सके। बीच में वर्षा और खराब मौसम से कई बार हताशा की दशा आयी। कई बार स्थानीय प्रशासन की ढुलमुल दशा को कोसने का मन भी बना। पर अन्तत: स्थानीय लोगों के अपने इनीशियेटिव से दशा बदली और उसपर ७०-८० किलो का सामान एक फेरी में लाया ले जाने लगा।
अब आज मुझे बताया गया कि उस रोप वे से आदमी भी मान्दाकिनी के आर-पार जाने लगे हैं। आज तक डेढ़ सौ से अधिक लोग नदी पार कर चुके हैं रोप वे से।
यूं कहा जाये कि रोप वे Fully Functional हो गया है!
शैलेश, हर्ष और आलोक को बहुत बधाई!
इस विषय में शैलेश पाण्डेय का फ़ेसबुक पर अपडेट यहां पर है! वहां आप कुछ् और चित्र देख पायेंगे रोप-वे के। एक चित्र में तो एक महिला बैठ रही है रोप वे की ट्राली में, नदी पार करने के लिये!
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8 comments:
वाह, बहुत बहुत बधाई शैलेश और उनकी टीम को।
इसे कहते हैं हिम्मते मर्दां तो मददे खुदा ।
वाह! सराहनीय..।
शैलेश जैसे युवा ही हिन्दुस्तान की तस्वीर को एक दिन बदल के रख देंगे। मेरा नमन है इस प्रतिभाशाली देश भक्त युवा को।
शैलेश, हर्ष और आलोक को हार्दिक बधाई और आपका बहुत-बहुत आभार इस जानकारी के लिए!
शैलेशजी जैसे युवा ही देश को संगठित रखने के लिये पुल का कार्य कर सकते हैं, शत शत साधुवाद।
Sarahana karta hoon. Lage rahiye, jan seva, janardan seva mein. Sadhuvad!
शैलेश, हर्ष और आलोक को साधुवाद। यही वास्तविक धर्म है और इसी में जीवन की सार्थकता है।
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