Sunday, June 30, 2013

शैलेश की कार्य योजना - फाटा से मन्दाकिनी पर ग्रेविटी गुड्स रोप-वे राहत सामग्री के लिये

शैलेश गुप्तकाशी से चल कर फाटा में हैं। फाटा से मन्दाकिनी के उस पार करीब 10-15 गांवों की सूची है उनके पास। उन गांवों में लगभग चार-पांच हजार लोग हैं को राहत से कटे हैं। भूस्खलन से वहां जाना दुर्गम है। सड़क मार्ग से राहत गुप्तकाशी से कालीमठ-चौमासी होते हुये करीब 70 किलोमीटर चल कर वहां पंहुचाई जा सकती है।

[caption id="attachment_7035" align="aligncenter" width="584"]ग्रेविटी रोप वे ग्रेविटी रोप वे[/caption]

फाटा से मन्दाकिनी के उस पार स्थान नीचाई पर है। नदी करीब 70 मीटर चड़ाई में है। अगर ग्रेविटी रोप-वे बनाया जाये (पुली के माध्यम से धरती की गुरुत्व शक्ति का प्रयोग कर रस्सी पर लटका कर राहत लुढ़काई जाये) तो काफी राहत तीव्रता से रेलगांव क्षेत्र में भेजी जा सकती है। जो स्थान/गाव इससे लाभ पायेंगे वे हैं - ग्रामसभा जाल-  रेलगांव 600 लोग, जलतल्ला 700, चौमासी 1100, शायूगढ़ 300, ब्योंखी 1200, कुंजेठी - 500, कालीमठ 300, कबील्था 700, मनेरा 200 और खोम 300 की आबादी वाले आदि।

[caption id="attachment_7036" align="aligncenter" width="584"]ग्रेविटी रोप वे में सामान लदता हुआ। ग्रेविटी रोप वे में सामान लदता हुआ।[/caption]

अभी शैलेश को सात-आठ हेलीकॉप्टर राहत सामग्री ले कर जाते दीख रहे हैं। पर ये कब तक काम करेंगे और इनकी लागत भी निश्चय ही बहुत होगी। शैलेश का विचार यह रोप-वे चार पांच दिन में कार्यांवित करने का है। इसमें (उनके अनुसार 2-3 लाख का खर्च आयेगा। लोगों ने सहायता देने की बात कही थी। अब वे उनके साथ सम्पर्क करेंगे। अगर सहायता मिली तो ठीक वर्ना अपने रिसोर्स इस यज्ञ में होम करने का विचार पक्का कर चुके हैं वे।

शैलेश के अनुसार; यही काम सरकार भी कर सकती है। पर शायद वहां सभी करने में समय बहुत ज्यादा लगता है। यही काम होने में महीना लग सकता है। आवश्यकता त्वरित काम करने की है।

शैलेश ने मुझे सामान की जरूरत भी बताई - उचित स्पेसीफिकेशन की 150 मीटर रस्सी देहरादून से खरीदनी पड़ेगी। वे लगभग छ पुली लेने की सोच रहे हैं। इसके अतिरिक्त कुछ और रस्सी भी चाहिये होगी। वे यह सामान ग्रामीणों को दे बनाने में उन्हे जोड़ना चाहते हैं। एक फेसीलिटेटर की भूमिका निभाते हुये।

मैने इण्टर्नेट पर ग्रेविटी रोप-वे के बारे में सर्च किया तो बहुत लिंक मिले। शैलेश तो वहां फाटा में हैं; मुझे यहां इलाहाबाद बैठे इस योजना की सरलता सोच कर जोश आ रहा है। ग्रेविटी माल ढुलाई की रोप वे बनाने का एक 6MB का मैनुअल भी मैने डाउनलोड कर लिया है!

[caption id="attachment_7039" align="aligncenter" width="584"]Gravity Goods Roapway - Design Gravity Goods Roapway - Design[/caption]

जो लोग सहायता देना चाहें, वे शैलेश पाण्डेय को सम्पर्क करें; जो दुआ करना चाहते हैं, वे नीचे टिप्पणी में करें! :lol:

[caption id="attachment_7037" align="aligncenter" width="584"]और चल पड़ा सामान ग्रेविटी रोप वे पर। और चल पड़ा सामान ग्रेविटी रोप वे पर।[/caption]

[caption id="attachment_7038" align="aligncenter" width="584"]नदी की धारा के बीचोबीच ग्रेविटी रोप वे पर सामान नदी की धारा के बीचोबीच ग्रेविटी रोप वे पर सामान[/caption]

[caption id="attachment_7040" align="aligncenter" width="584"]गुप्तकाशी-फाता-रेलगांव गूगल अर्थ पर। गुप्तकाशी-फाता-रेलगांव गूगल अर्थ पर।[/caption]

[caption id="attachment_7041" align="aligncenter" width="480"]Phata Rail; Guptkashi Phata Rail; Guptkashi[/caption]




इस पोस्ट में आगे मिले इनपुट्स के आधार पर एडिटिंग सम्भव है।

6 comments:

अनूप शुक्ल said...

शैलेश अपने काम में सफ़ल हों। शुभकामनायें।

Padm Singh said...

फौरी तौर पर इस तरह के रोप वे अधिक से अधिक बनाया जाना चाहिए जब तक सड़कों से संपर्क जुड़ न जाए...

Gyandutt Pandey said...

हां, शैलेश का कहना है कि उस क्षेत्र में इस तरह की पांच छ बननी चाहियें!

प्रवीण पाण्डेय said...

रोपवे निश्चय ही उत्कृटतम समाधान है, जहाँ जहाँ संभव हो उपयोग में लाना चाहिये।

Shrish said...

शुभकामना शैलेष को, उनके साहस और परोपकार भावना को सलाम।

मन्दाकिनी नदी पर रोप-वे बनाने में सफल रही शैलेश की टीम | मानसिक हलचल said...

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