Tuesday, June 12, 2012

कल्लू के उद्यम

[caption id="attachment_5826" align="aligncenter" width="584"] कल्लू के कुत्ते चरती भैसों को भगा रहे थे। लोग गंगास्नान कर लौट रहे थे।[/caption]

बहुत दिनों बाद कल्लू दिखा कछार में। गंगा दशहरा के पहले ही उसके खेतों का काम धाम खत्म हो गया था। अब वह सरसों के डण्ठल समेटता नजर आया। उसके साथ दो कुत्ते थे जो कछार में चरती भैसों को भौंक कर भगा रहे थे। लोग स्नान कर आ जा रहे थे। मुझे कल्लू का दीखना अच्छा लगा। दूर से ही हमने हाथ हिला कर परस्पर अभिवादन किया। फ़िर मैं रास्ता बदल कर उसके पास गया।

[caption id="attachment_5827" align="aligncenter" width="584"] कल्लू सरसों के डण्ठल समेटता नजर आया।[/caption]

क्या हाल है?

जी ठीक ही है। खेत का काम धाम तो खत्म ही हो गया है। यह (डण्ठल की ओर इशारा कर) बटोर रहा हूं। जलाने के काम आयेगा।

हां, अब तो बरसात के बाद अक्तूबर नवम्बर में ही शुरू होगा फिर से सब्जी बोने का कार्यक्रम? 

देखिये। अगले मौसम में शायद वैसा या उतना न हो। अभी तो सब्जी की फ़सल अच्छी हो गयी थी। आने वाले मौसम में तो कुम्भ भी लगना है। घाट पर जाने के लिये ज्यादा रास्ता छोड़ना होगा। भीड़ ज्यादा आयेगी तो खेती कम होगी।

कल्लू ने स्वत: बताना शुरू किया। अभी तो वह लीची का ठेला लगा रहा था। लीची का मौसम उतार पर है। एक बारिश होते ही वह खत्म हो जायेगी। फ़िर सोचना होगा कि क्या किया जाये। प्याज और लहसुन का ठेला लगाने का मन है। "यही सब काम तो हैं हमारे लिये"।

मैं सोचने लगा - कल्लू की माली दशा औरों से बेहतर है। उसके पास उद्यम के बेहतर विकल्प हैं। सब्जी बोने में भी वह खाद देने और पम्पिंग सेट से सिंचाई करने के बेहतर प्रयोग कर लेता है। ठेले लगाने में भी उसके पास औरों की अपेक्षा बेहतर बार्गेनिंग पावर होगी।

मुझे कल्लू अच्छा लगता है। जिस तरह से वह मुझसे बेझिझक बात करता है, उससे लगता है कि वह भी मुझे अच्छा समझता होगा। देखते हैं वह अगली बार क्या करता है। उससे कब और कहां मुलाकात होती है - कछार में सब्जी उगाते या ठेले पर सब्जी बेचते।

[caption id="attachment_5828" align="aligncenter" width="584"] कल्लू, सूखा भूसा/डण्ठल और उसके कुत्ते।[/caption]

~~~~~~~


कल जवाहिरलाल को अपने लड़के के तिलक की पत्रिका मैने दी, शिवकुटी घाट के पास। जवाहिरलाल ने ध्यान से देखी पत्रिका। एक बहुत आत्मीय सी मुस्कान दी मुझे और फ़िर वह पत्रिका पण्डाजी के पास सहेज कर रखने चला गया।




[caption id="attachment_5832" align="aligncenter" width="450"] जवाहिरलाल ने तिलक की पत्रिका हाथ में ली।[/caption]

[caption id="attachment_5833" align="aligncenter" width="584"] पत्रिका ध्यान से देखी।[/caption]

[caption id="attachment_5834" align="aligncenter" width="584"] और फ़िर उसे सहेज कर रखने पण्डाजी की चौकी की ओर चल दिया।[/caption]

16 comments:

indiasmart said...

आपकी व्यस्तता का अन्दाज़ तो था। यह पोस्ट पढकर भला सा लगा। शुभकामनायें!

सतीश said...

कल्लू और जवाहिरलाल जी जैसे जमीनी लोगों से बात करके अलग आनंद आता है... लगता है हम दूसरे ग्रह के निवासी हो गए हैं...
वैसे आप ये फोटो फ्रेम के लिए कौन सा कोड यूज करते हैं... फ्रेम बड़ा अच्छा दिखता है..

सतीश सक्सेना said...

जय हो आपके कल्लू की...
शुभकामनायें भाई जी !

सतीश सक्सेना said...

कल्लू को शुभकामनायें उसके उद्यमों के लिए ...

दीपक बाबा said...

@कल्लू की माली दशा औरों से बेहतर है।

मेरे ख्याल से कल्लू मेहनती व्यक्ति है, खाली नहीं बैठता होगा जहाँ गाँव में किसान फसल उठाने के बाद मात्र देश - ओर समाज पर प्रवचन देते हैं - वहीँ कल्लू फल/सब्जी बेचने लग जाता है.

लक्ष्मी सदा उद्यमी पुरुष पर ही मेहरबान रहती है.

dhirusingh said...

समाज के साथ संवाद बिना भेदभाव के निश्चित ही अनुकरण योग्य है . ....और जवाहिर लाल को न्योता आपके भीतर के मानुष की प्रवति को उजागर करता है . एक क्लास वन अफ़सर और कहां जवाहिर लाल ......

indowaves said...

कुत्ते बहुत स्मार्ट लग रहे है.

प्रवीण पाण्डेय said...

विकल्प है, विकल्प तोड़ता है, ये नहीं वो कर लिये होते...पर उद्यमियों को किसकी परवाह..

Kajal Kumar said...

अच्‍छा लगा आपका जवाहि‍र को आमंत्रि‍त करना.

Gyandutt Pandey said...

फोटो सामान्य नोकिया मोबाइल कैमरे से है। मैने देखा है सवेरे सूरज की रोशनी में चित्र स्वत: बहुत अच्छे आते हैं। कभी कभी विण्डोज़ के फोटो एडीटर से उनकी ब्राइटनेस/कण्ट्रास्ट ठीक करना होता है।

Gyandutt Pandey said...

आप सही कहते हैं।

Gyandutt Pandey said...

धन्यवाद!

Abhishek Ojha said...

जवाहिर को निमंत्रण - बेस्ट पार्ट.

sinhavipul said...

चित्र आपके लेखों के असली प्राण हैं.

Asha Joglekar said...

जवाहिर को आपके निमंत्रण की कदर है । कल्लू की मेहनत और उद्यम आपकी पारखी नजर ने पहचान ली ।

कल्लू की प्लानिंग | मानसिक हलचल said...

[...] कल्लू के विषय में पहले की पोस्टें - कल्लू का बिजूका गंगा के पानी की पम्पिंग कर सिंचाई कल्लू ने मटर बोई है!  कल्लू के उद्यम  [...]