Tuesday, June 26, 2012

सुशील की गुमटी

[caption id="attachment_5837" align="alignright" width="300"] चील्ह में सुशील की गुमटी, पास में अजय खड़ा है।[/caption]

हम लोग मेरे लड़के के विवाह के लिये मिर्जापुर की ओर बढ़ रहे थे। कई कारों में परिवार के लोग। परस्पर मोबाइल सम्प्रेषण से तय पाया गया कि गोपीगंज के आगे चील्ह में जहां गंगाजी का पुल पार कर मिर्जापुर पंहुचा जाता है, वहां रुक कर चाय पीने के बाद आगे बढ़ा जायेगा।

चील्ह में सभी वाहन रुके। एक गुमटी वाले को चाय बनाने का आर्डर दिया गया। गुमटी पान की थी, पर वह चाय भी बनाता था। गुमटी में पान मसाला के पाउच नेपथ्य में लटके थे। एक ओर बीकानेरी नमकीन के भी पाउच थे। सामने पान लगाने की सामग्री थी।

[caption id="attachment_5838" align="aligncenter" width="584"] सुशील की गुमटी की मुख्य आमदनी पान और चाय से है।[/caption]

चाय इतने बड़े कुल्हड़ में वह देता था, जिससे छोटे कुल्हड़ शायद बना पाना एक चुनौती हो कुम्हार के लिये। एक टीन के डिब्बे में कुल्हड़ रखे थे। मैने उससे पूछा - कितने के आते हैं ये कुल्हड़?

[caption id="attachment_5842" align="alignleft" width="225"] इससे छोटा कुल्हड बनाना शायद चुनौती हो कुम्हार के लिये! :-)[/caption]

अपनी दुकान की चीजों की लागत बताने में हर दुकानदार थोड़ा झिझकता है, वैसे ही यह भी झिझका। फिर बोला - बीस रुपये सैंकड़ा की सप्लाई होती है।

दिन भर में कितने इस्तेमाल हो जाते हैं?

कोई कोई दिन दो सौ। कोई कोई दिन तीन सौ।

तब तो तुम्हारी ज्यादा आमदनी चाय से होती होगी? पान से भी होती है? 

वह युवा दुकानदार अब मुझसे खुल गया था। बोला - चाय से भी होती है और पान से भी।

मैने पीछे लगे पानमसाला के पाउच दिखा कर कहा - इनसे नहीं होती?  " इनसे अब बहुत कम हो गई है। पहले ज्यादा होती थी, तब ये आगे लटकाते थे हम, अब पीछे कर दिये हैं। अब दो तीन लड़ी बिक पाती हैं मुश्किल से।"

उसे मैने सुप्रीम कोर्ट के आदेश - पानमसाला प्लास्टिक के पाउच में नहीं बेचा जा सकता - के बारे में बताया। "अभी भी पूरी तरह कागज का पाउच नहीं है। कागज के पीछे एक परत है किसी और चीज की।" - उसने मुझे एक पाउच तोड़ कर दिखाते हुये कहा।

उसकी चाय अच्छी बनी थी - आशा से अधिक अच्छी। दाम भी अच्छे लिये उसने - चार रुपये प्रति छोटा कुल्हड। पर देने में कोई कष्ट नहीं हुआ हम लोगों को - बारात में जाते समय पर्स का मुंह वैसे भी आसानी से खुलने लगता है!

चलते चलते मैने उससे हाथ मिलाया। नाम पूछा। सुशील।

उससे आत्मीयता का परिणाम यह हुआ कि जब हम अगले दिन विवाह के बाद लौट रहे थे तो पुन चील्ह में चाय पीने सुशील की गुमटी पर रुके। जाते समय सांझ हो गयी थी, सो गुमटी का चित्र नहीं लिया था। आते समय सवेरे के नौ बज रहे थे। चित्र साफ़ आया।

साथ चलते अजय ने पूछा - अब सुशील भी ब्लॉग पर आ जायेगा?

मैने जवाब दिया - देखता हूं। ब्लॉग आजकल उपेक्षित सा पड़ा है। उसपर जाता है सुशील या फ़ेसबुक या ट्विटर पर। अन्तत: पाया कि सुशील "मानसिक हलचल" पर ही जमेगा।

[caption id="attachment_5839" align="aligncenter" width="584"] चाय बनाने के लिये दूध निकालता सुशील।[/caption]

41 comments:

sanjay @ mo sam kaun.....? said...

जमा सुशील का परिचय| आप भी हीरे ढूंढ ही लेते हैं|
मंगल अवसर की हार्दिक शुभ कामनाएं|

Mukesh Pathak (@MukeshPathakJi) said...

...मगर सुशील तो ब्लॉग फेसबुक और ट्विट्टर तीनों पर ही आगया... :)))

Nishant Mishra said...

सुन्दर सुशील हैं. अपना काम पर्याप्त ईमानदारी और अच्छी मेहनत से कर रहे हैं. खाली बैठ आवारागर्दी, बकैती, गुंडई करने से तो लाख दर्जे बेहतर.
आपने दोनों मुलाकात की बीच की बातें पोस्ट नहीं कीं?

अनूप शुक्ल said...

बधाई हो!

anupkidak said...

बधाई!

Gyandutt Pandey said...

करूंगा। जरा हाथ पैर सीधे कर लूं! :-)

Gyandutt Pandey said...

जय हो!

Gyandutt Pandey said...

हां, मूल जड़ ब्लॉग पर रही! शाखायें वहां भी चली गयीं!

Gyandutt Pandey said...

धन्यवाद, संजय जी।

आशीष श्रीवास्तव said...

"शिव शंकर पान & सिगरेट शाप"
आश्चर्य अभी तक किसी ने दुकान के नाम पर अभी तक आपत्ति नही जताई!

आशीष श्रीवास्तव said...

बधाई देना तो भूल ही गये, बहुत बहुत बधाई जी!

Gyandutt Pandey said...

शंकर जी के नाम से तो गांजा भांग बिकना जस्टीफ़ाई हो जाता है! :-)

Gyandutt Pandey said...

बहुत बहुत धन्यवाद आशीष जी।

अतुल त्रिवेदी (@aptrivedi) said...

मिर्ज़ापुर निवास के समय जब बाढ़ आती थी तब चील्ह तक स्टीमर चलते थे , मनोरंजन में एक शगल उससमय स्टीमर में घूमना भी होता था तब फेसबुक और ट्वीटर और ब्लॉग नहीं होते थे

सतीश पंचम said...

गुमटी पर यदि बैठक जमाई जाय तो एक से एक बतकही सुनने मिलेगी। अपने लिये तो ऐसे स्थल लेखन हेतु कच्चा माल कम पक्का माल वाले स्त्रोत हैं :-)

sinhavipul said...

ह्रदय से शुभकामनाएं.

सामान्य और गरीब वर्ग के लोगो के साथ आपका आत्मीयता से बातें करना मुझे इस ब्लॉग कि ओर सदा आकर्षित करता है. साधुवाद.

Gyandutt Pandey said...

गंगाजी का पाट वहां काफ़ी चौड़ा है। जल राशि (वर्षा पूर्व भी) ठीक ठाक है। स्टीमर लायक नहीं, पर डोंगियां काफ़ी आती जाती दिखीं - मछेरों की रही होंगी।

जल धारा कहीं एक थी, कहीं कहीं दो भाग में बंटी हुई। चील्ह में रहा जा सकता है गंगा किनारे! :-)

Gyanendra said...

मैं इंतेज़ार में था कि कब आएगी पोस्ट अंततः ख़त्म हुआ; वरना तो ऐसा लगाने लगा था कि आपको अपने one liner की छवि ज़्यादे अच्छी लग रही है ब्लॉगर वाली छवि से.

दीपक बाबा said...

सुशील को भी बधाई.... मानसिक हलचल पर 'स्पेशल अप्पिरेंस' वाला रोल मिला :)

शुभकामनाएं.

sanjay jha said...

dadda sochta hoon 'gaon' jate waqt kabhi allahabad me hum bhi apse mil loon ....... is-se itta to hoga hi ke mujhe apke blog pe jagah mil jayega aur apke blog ko ek post "mithlanchal ka sanjay"

mangalik karya ke anek subhkamnayen cha badhaieeyan


pranam.

Personal Concerns said...

it is a rare occasion to see a paan gumti also selling cups of tea!

multitasking ka zamana aa gaya hai ab!

neeraj1950 said...

साधारण पात्रों को असाधारण रूप से प्रस्तुत करने का जो हुनर आपके पास है वो और किसी के पास नहीं...बेटे के विवाह की बधाई हमसे स्वीकारें...मिलने पर आपसे लड्डू हम स्वीकारेंगे...

नीरज

विष्‍णु बैरागी said...

यात्रा-डायरी के ऐसे छोटे-छोटे नोट्स, रोजमर्रा की जिन्‍दगी की विस्‍तृत कथाऍं बडी ही सहजता से कह जाते हैं।

सतीश सक्सेना said...

अब तो सुशील की चाय पिने का दिल कर रहा है

अरविन्द मिश्र said...

शादियाँ में काहे नहीं बुलाये पत्नी उलाहना दे रही हैं कि अकेले ही सारा लेडुआ खा गए ?
नव दंपत्ति को शुभकामनायें !
पत्नी इसी बहाने मायका हो आतीं -भुनभुना रही हैं !

Smart Indian - अनुराग शर्मा said...

खुशखबरी के लिये आपको हार्दिक बधाई! अजय जी ने सवाल पूछकर अच्छा किया, सुशील से परिचय हुआ।

indiasmart said...

पिछली टिप्पणी शायद खो गयी, इसलिये एक बार फिर से बधाई स्वीकारिये!

Kajal Kumar said...

शुभकामनाएं ढेर सारी. जवाहि‍रलाल आया ?

Asha Joglekar said...

सुशील से परिचय अच्छा लगा । प्यारा सा बच्चा है । मेहनती भी । पान मसाला ना बेचे कमाई तो हो ही रही है ।
झासे कि नीरज जी ने कहा है समान्य पात्रों को रोचक बनाने में आपका कोई सानी नही ।

Asha Joglekar said...

सुशील से परिचय अच्छा लगा । प्यारा सा बच्चा है । मेहनती भी । पान मसाला ना बेचे, कमाई तो हो ही रही है ।
जैसे कि नीरज जी ने कहा है सामान्य पात्रों को रोचक बनाने में आपका कोई सानी नही । बेटे के विवाह की बधाई ।

Abhishek Ojha said...

बधाई.
दो बार हंसी आई पोस्ट पढ़ते हुए :)

sanjay @ mo sam kaun.....? said...

और कित्ता स्थान लोगे भाई 'मिथिलांचल के संजय'?
टिप्पणियाँ पाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद अपनाते हम हिन्दी ब्लोगर्स के बीच हमारा नामराशि 'दधीचि ' से कम नहीं, टिपियाता है लेकिन औरों से कुछ लेता नहीं|
सोचा था तुम पर एक पोस्ट लिखने की, अब फैसला मुल्तवी| तुम्हारी इच्छा बड़े कैनवास की है:))

Gyandutt Pandey said...

नहीं!

Gyandutt Pandey said...

यह उलाहना बहुत से लोग देंगे।
मैं एक छोटी सी बारात चाहता था - ५-१० लोगों की। लिहाजा सिर्फ़ कुटुम्ब के लोग ही थे। तब भी ३५-४० हो गये।
किफ़ायत, बिना दहेज, साधारण.. इन सब के मेल के कारण बहुत से लोग भुनभुना रहे हैं। क्या किया जाये?

Gyandutt Pandey said...

संजय अद्भुत चरित्र होते हैं - महाभारत में भी, जिन्दगी में भी, ब्लॉग में भी और टिप्पणी में भी! :-)

प्रवीण पाण्डेय said...

नखलऊ ट्र्निंग में पता चला कि आप विवाह में व्यस्त हैं, मल्हन साहब से चर्चा होती रही। ढेरों बधाईयाँ आपको। सुशील भी अपने व्यवसाय में सिद्धहस्त हों..

पा.ना. सुब्रमणियन said...

आपकी संवेदनशीलता का मैं कायल हूँ. अच्छा लगा.

वाणी गीत said...

पान मसालों की बिक्री कम हो रही है , अच्छा लगा जानकार . मदिरा की दुकानों पर ऐसा सुनने को कब मिलेगा , फिलहाल तो वहां भीड़ बढती ही देखी जा सकती है , लगभग हर नुक्कड़ पर .
कुल्हड़ की चाय , गुमटी , चाय बनानेवाला सुशील ....जिंदगी हमेशा इतनी सरल क्यों नहीं होती !!

Gyandutt Pandey said...

जिन्दगी सभी रसों का अनुभव देती है।

udantashtari said...

बेटे के विवाह की हार्दिक बधाई - हमारी ससुराल भी मिर्जापुर है. :)

udantashtari said...

पुत्र के विवाह की हार्दिक बधाई- मिर्जापुर तो हमारी भी ससुराल है.