Wednesday, March 20, 2013

खोपड़ी की कथा

किसी ने कछार में खेत की बाड़ बनाने में एक खोपड़ी लगा दी है। आदमजात खोपड़ी। समूची। लगता है, जिसकी है, उसका विधिवत दाह संस्कार नहीं हुआ है। कपाल क्रिया नहीं हुई। कपाल पर भंजन का कोई चिन्ह नहीं।

भयभीत करती है वह। भयोत्पादान के लिए ही प्रयोग किया गया है उसका।

कछार में घूमते हुये हर दूसरे तीसरे देख लेता हूँ उसे। जस की तस टंगी है उस बल्ली पर। कई चित्र लिए हैं उसके।
आपके लिये ये दो चित्र प्रस्तुत हैं-
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20 comments:

अयाज़ अनवर said...

मनुष्य जीवन भर प्रेत पिशाचों से डरता है और मृत्यु पश्चात खुद दूसरों को डराता है अजीब विडमबना है !!!!

Deep Chand Pandey said...

खोपड़ी पर एक भी बाल नहीं ! किसी बूढ़े की लगती है.

arvind mishra said...

awesome

सतीश सक्सेना said...

खोपड़ी का पिछला हिस्सा देखने से, लगता है, कि यह जरूर कोई ब्लौगर रहा होगा भाई जी ...

प्रवीण पाण्डेय said...

डराती खोपड़ी..

sanjay @ mo sam kaun said...

खोपड़ी के बैकव्यू वाले चित्र के ठीक नीचे गैलेक्सी II वाला चित्र/विज्ञापन बहुत प्रासंगिक लग रहा है, बेस्ट बाई ऑफ़र :)

sanjay @ mo sam kaun.....? said...

और अब टिप्पणी आप्रसंगिक लग रही है :)

भारतीय नागरिक said...

मेरी भी ऐसी ही होगी - खोपड़ी... :)

विष्णु बैरागी said...

सही कहा आपने।

Rakesh Ravi said...

It was ok to see the side profile but seeing it from back evoked strange feelings. It is lambdoid suture seen with all its vividity.

Gyandutt Pandey said...

ऑफर का क्या, आता जाता रहता है। खोपड़ी परमानेण्ट है!

anupkidak said...

देख लिये। कुछ और लिखना था इस पर।

Smart Indian - अनुराग शर्मा said...

अजीब लोग हैं, मुझे पूरा यकीन है कि अज्ञात मानव के अस्थि-अवशेष के इस दुरुपयोग रोकने के लिए कोई न कोई कानून अवश्य होगा ...

Smart Indian - अनुराग शर्मा said...

:)

Gyandutt Pandey said...

मोबाइल से लिखी है पोस्ट! इससे ज्यादा लिखने में जोर लगता! :-)

PN Subramanian said...

लाश का दाह संस्कार ना होकर दफना दिया गया होगा. इसीलियी खोपड़ी सबूत है.

पा.ना. सुब्रमणियन said...

लाश का दाह संस्कार ना होकर दफना दिया गया होगा. इसीलियी खोपड़ी साबूत है.

अनूप शुक्ल said...

मोबाइल से लिखे तब ठीक है। चलेगी इत्ती लंबाई!

Shrish said...

खोपड़ी पर पीछे सिलाई टाइप तो देखा, क्या मजबूत जो़ड़ है कुदरत का।

Murli Manohar Tripathi said...

सीलाई के लिये अमिटो धागों का उपयोग किया गया है, (पोस्टमार्डम के बाद)